Broken heart shayari copy paste | Broken Heart Shayari | ब्रोकन हार्ट शायरी 2023 | Sad Broken Heart Shayari in Hindi
छोड़ने से पहले कहते तो आप,
दर्दे दिल एक बार हमे सुनाते तो आप,
ऐसी क्या मजबूरी थी आपकी,
जो हमे जिंदगी के सफर में छोड़ गये आप।
हमे दिल में बसाया था तो साथ निभाया क्यों नही,
जब नजरे मिलाई थी हमसे तो नजर में बसाया क्यों नही,
तूने तो हमसे जिंदगी भर साथ निभाने का वादा किया था,
तो छोड़ कर जाने से पहले एक बार बताया क्यों नही।
मेरे ख्यालो में सिर्फ तुम हो तुम्हे कैसे भुला दूँ,
इस दिल की धड़कन हो सिर्फ तुम,
तुम्हे कैसे निकाल दूँ।
सच कहो तो उन्हें ख्वाब लगता है,
और शिकवा करो तो उन्हें मज़ाक लगता है,
हम कितनी शिद्दत से उन्हें याद करते है,
और एक वो हैं जिन्हें ये सब इत्तेफाक लगता है।
ख्वाइशें तमाम पिघलने लगी है,
फिर से एक और शाम ढलने लगी है,
उनसे मुलाकात के इंतज़ार में बैठे है,
अब ये जिद भी तो हद से गुजर ने लगी है।
उस वेबफा को अपना समझा,
जिसे हमने इतना प्यार किया,
उसने किया हमसे सिर्फ धोखा,
हमने फिर भी एतवार किया।
चुप रह कर भी कह दिया,
सब कुछ ये मेरा सलीका था,
और तुम सुनकर भी समझ,
नही पाए ये उनका प्यार था।
तू एक ही हमारी थी
जहां में सबसे प्यारी थी
तुझको ना देखूं तो नींद नहीं आती
ऐसी भी सनम मुझे लगी कोई बीमारी थी
ये मैंने क्या रोग पाला है
कि नींद नहीं आ रही
जबकि रात के 2:00 बजे का हो रखा अंधेरा काला है
उसके ख्याल क्या आए नींद फुर हो गई
हमने कोशिश की रोकने की हमसे दूर हो गई
जब जमाना सोता है तेरा आशिक रोता है
कितना ही रो लो रोने से क्या होता है
वो रोए तो मगर मुझसे मुँह मोड़कर रोए,
कोई मजबूरी होगी जो दिल तोड़कर रोए,
मेरे सामने कर दिए मेरी तस्वीर के टुकड़े,
मेरे बाद वो उन्हें जोड़-जोड़ कर रोए।
बिखरा वजूद, टूटे ख़्वाब, सुलगती तन्हाईयाँ,
कितने हसीन तोहफे दे जाती है ये मोहब्बत।
उनको मालूम है कि उनके बिना
हम टूट जाते हैं,
फिर क्यूँ वो आज़माते हैं
हमको बिछड़-बिछड़ कर।
ज़ख्म लगा के मेरे दिल पे बड़ी सादगी के साथ,
टूटे हुए मेरे दिल का क्या पूछते हो?
ठुकरा दिया जो तुमने मोहब्बत को इस तरह,
पलट-पलट के प्यार से क्या देखते हो?
ज़रूरी नहीं जो शायरी करे
उसे कभी-कभी इश्क़ हो,
ज़िन्दगी भी कुछ ज़ख्म
बेमिसाल दिया करती है।
सौ बार कहा दिल से, चल भूल जा उससे,
सौ बार कहा दिल ने, तुम दिल से नही कहते.!
कैसे भुला दू उसको
मौत इंसानों को आती है
यादों को नहीं
मैं भूल गया उसे अब वो याद नहीं है,
मैं रोज़ खुद से झूठ बोलता हूँ।
मैंने अपने ही दिल का ,
बहुत दिल दुखाया है।
बड़ी शोक से उतरे थे हम समंदर-ऐ-इश्क़ में,
एक लहर ने ऐसा डुबाया के अब तक किनारा ना मिला ।
तू मिले या न मिले ये तो किस्मत की बात है,
लेकिन मेरे दिल से तुझे निकालने का हक़ तो….
मैंने खुद को भी नहीं दिया….
याद तो तुम्हे आएगी मेरी….
जब तुम वही सब, किसी और के साथ दोहराओगे….
इस मतलबी दुनिया में किसी से दिल न लगाना
बिन बुलाये आने वाले अक़्सर बिन बताये चले जाते हैं
नफ़रत मत करना हमसे, हमें बुरा लगेगा,
बस प्यार से कह देना, तेरी अब ज़रूरत नहीं….
हम मशरुफ़ थे जिनके इंतेज़ार में,
वो किसी और से दिल लगा बैठे ।
जो पूछो तुम मैं न बताऊं ऐसे तो हालात नहीं, एक छोटा सा दिल टूटा है और तो कोई बात नहीं।
दिल की क्या बिसात थी निगाह-ए-जमाल में, इक आइना था टूट गया देख-भाल में।
ऐसा नहीं है कि अब तेरी जुस्तजू नहीं रही, बस टूट कर बिखरने की आरज़ू नहीं रही।
छोड़ने से पहले कहते तो आप, दर्दे दिल एक बार हमे सुनाते तो आप, ऐसी क्या मजबूरी थी आपकी, जो हमे जिंदगी के सफर में छोड़ गये आप।
मेरे ख्यालो में सिर्फ तुम हो तुम्हे कैसे भुला दूँ, इस दिल की धड़कन हो सिर्फ तुम, तुम्हे कैसे निकाल दूँ।
क्यूँ न सज़ा मिलती हमें मोहब्बत में,
आखिर हम ने भी तो बहुत दिल तोड़े तेरी खातिर।
दिलों का खेल जो खेलो तो ये भूल मत जाना,
कि खेल-खेल में अक्सर खिलौने टूट जाते हैं।
दिल तोड़ कर हमारा तुमको राहत भी न मिलेगी,
हमारे जैसी तुमको कहीं चाहत भी न मिलेगी,
यूं इतनी बेरुखी न दिखलाइये हमें,
हम अगर रूठे तो हमारी आहट भी न मिलेगी।
जरा सा बात करने का तरीका सीख लो तुम भी,
उधर तुम बात करते हो इधर दिल टूट जाता है।
मैं तो आईना हूँ टूटना मेरी फितरत है,
इसलिए पत्थरों से मुझे कोई गिला नहीं।
कोई एहसान करदे मुझपे इतना सा बता कर,
भुलाया कैसे जाता है दिल तोड़ने वाले को।
तेरा यूँ मेरे सपनो में आना ये तेरा कसूर था
और तुझ से दिल लगाना ये मेरा कसूर था
कोई आया था पल दो पल को जिंदगी में
और सिर्फ़ अपना समझ लेना वो मेरा कसूर था
बरबाद बस्तियों में तुम किसको ढूंढ़ते हो
उजड़े हुए लोगों के ठिकाने नहीं होते
एहसास दिलाती थी वो हर बार मुझे,
की मै कभी उसका नहीं हो सकता !!
जिसे हद से ज्यादा वक़्त दिया
अब वो ही बदल गया है
वक़्त के साथ
तेरे हर दर्द से वाकिफ था मैं
फिर क्यों तुझे मेरे दर्द का
एहसास नहीं हुआ
वही किस्से वही बेरुखी तुम्हारी
एक ही एहसास कितनी बार लिखूँ मैं
सोचा था बहुत टूट कर चाहेंगे
मगर चाहा भी हमने और
टूटे भी हम ही
इतना तो मैं समझ गई थी उसको
वो जा रहा था और मैं हैरान भी ना थी
इतनी शिकायतें इतनी शर्तें इतनी पाबंदियाँ
तुमने मोहब्बत की है या सौदा
सोचते तो हैं तेरे बिना उम्र गुजारने की
पर गुज़र एक लम्हा भी नहीं रहा