Chand shayari gulzar | Chand Shayari in Hindi | चाँद पर शायरी

नमस्कार इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको chand shayari gulzar हिंदी में साझा कर रहे हैं. अक्सर लोग प्यार की तुलना चांद सितारों से करते हैं. इसलिए हमने इस पोस्ट में चांद से रिलेटेड गुलजार जी का शायरी बेहतरीन चुनकर साझा किए हैं. आप यहां से चांद शायरी की अच्छी संग्रह में से चुनकर अपनी जीएफ को भेज सकते हैं, या फिर फेसबुक व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया का यूज करके टैग कर सकते हैं और अपनी गर्लफ्रेंड को इंप्रेस कर सकते हैं.

Chand shayari gulzar

चाँद पर शायरी

जिस दिन उतरेगा आसमान से ये चाँद,
उस दिन लगाएंगे हम तुम्हारे नाम का एक जाम !!!

शाम भी जाने लगा अब तो रात होगी,
वो चाँद निकलेगा तभी तो हमारी उनसे कुछ बात होगी !!!

मेरे दिल ने एक गलती कर लिया है,
इसपर एक टूटता तारा भी नहीं गिरता,
और इसने एक चाँद से मोहब्बत कर लिया है !!!

न दिन में सुकून है न रात में,
खो गया है ये दिल तुझमे जैसे खोया हो चाँद आसमान में !!!

तुझे एक बार जो देखा तो देखता ही रह गया,
चाँद भी मुझसे कहता रहगया खुबशुरत मैं हूँ या वो !!!

एक इच्छा है आपको अपने की और,
दूसरी इच्छा है आपके दिल में बस जाने की,
चेहरा आपका है जैसे चाँद और हमारी इच्छा है चाँद को पाने की !!!

बहकी हुई आपकी बातें और महकी हुई आपकी साँसे,
चाँद का दीदार और आपकी प्यारी यादें !!!

चाँद और सूरज तो कुदरत का माया है,
न जाने तुमने अपनी खूबशूरती से कितनो को मेहकया है !!!

अगर तुम चाँद और मैं तुम्हारा सितारा होता,
दूर कही एक आशियाना हमारा भी होता,
लोग तुम्हे देखते सिर्फ दूर से,
और सामने से देखने का हक़ सिर्फ हमारा होता !!!

तुम सीसे में खुद को न देखा करो,
चमकता हिरा तुम्हे एक साया लगेगा,
सब कहते है तुम चाँद से बिछड़ी होगी,
मैं कहता हूँ चाँद तुम्हारा टुकड़ा होगा !!!

तस्वीर को तेरी मैंने चाँद से मिलाया,
तो चाँद फीका पड़ गया मगर,
तेरा चेहरा जायदा खुबशुरत नज़र आया !!!

बेचैन इस क़दर था कि सोया न रात भर,
पलकों से लिख रहा था तेरा नाम चाँद पर!

Best Chand Shayari gulzar in hindi

क्यूँ मेरी तरह रातों को रहता है परेशाँ,
ऐ चाँद बता किस से तेरी आँख लड़ी है!

मुन्तज़िर हूँ कि सितारों की जरा आँख लगे,
चाँद को छत पे बुला लूँगा इशारा करके!

रात भर आसमां में हम चाँद ढूढ़ते रहे,
चाँद चुपके से मेरे आँगन में उतर आया!

तुझको देखा तो फिर उसको ना देखा मैं,
चाँद कहता रह गया मैं चाँद हूँ मैं चाँद हूँ!

आज टूटेगा गुरूर चाँद का तुम देखना यारो,
आज मैंने उन्हें छत पर बुला रखा है!

पत्थर की दुनिया जज़्बात नहीं समझती,
दिल में क्या है वो बात नहीं समझती,
तनहा तो चाँद भी सितारों के बीच में है,
पर चाँद का दर्द वो रात नहीं समझती!

ऐ चाँद मुझे बता तू मेरा क्या लगता है,
क्यूँ मेरे साथ सारी रात जगा करता है,
मैं तो बन बैठा हूँ दीवाना उनके प्यार में,
क्या तू भी किसी से बेपनाह मोहब्बत करता है!

ढूँढता हूँ मैं जब अपनी ही खामोशी को,
मुझे कुछ काम नहीं दुनिया की बातों से,
आसमाँ दे न सका चाँद अपने दामन का,
माँगती रह गई धरती कई रातों से!

कल फिर चाँद का ख़ंजर घोंप के सीने में
रात ने मेरी जाँ लेने की कोशिश कीGulzar Sahab

हम तो कितनों को मह-जबीं कहते
आप हैं इस लिए नहीं कहते गुलज़ार साहब

चाँद होता न आसमाँ पे अगर
हम किसे आप सा हसीं कहते Gulzar Sahab

सहमा सहमा डरा सा रहता है
जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है गुलज़ार साहब

एक पल देख लूँ तो उठता हूँ
जल गया घर ज़रा सा रहता है.

कौन_कहता है क़ि “चाँद” तारे तोड़ लाना ज़रूरी है,

दिल को छू जाए #प्यार से दो लफ्ज़, वही काफ़ी है…

नाम मिरा था और पता अपने घर का,
उस ने मुझ को ख़त लिखने की कोशिश की!

हवा के सींग न पकड़ो खदेड़ देती है
ज़मीं से पेड़ों के टाँके उधेड़ देती है

मैं चुप कराता हूँ हर शब उमड़ती बारिश को
मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है

चंद उम्मीदें निचोड़ी थीं तो आहें टपकीं
दिल को पिघलाएँ तो हो सकता है साँसें निकलें

कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ,
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की!

मुझे अँधेरे में बे-शक बिठा दिया होता
मगर चराग़ की सूरत जला दिया होता

ये शुक्र है कि मिरे पास तेरा ग़म तो रहा
वगर्ना ज़िंदगी ने तो रुला दिया होता

खिड़की में कटी हैं सब रातें
कुछ चौरस थीं कुछ गोल कभी

तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की
क्यूँ इतनी लम्बी होती है चाँदनी रात जुदाई की

सीने में दिल की आहट जैसे कोई जासूस चले
हर साए का पीछा करना आदत है हरजाई की

कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़
किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर
आदत इस की भी आदमी सी है

ये शुक्र है कि मिरे पास तेरा ग़म तो रहा,
वगर्ना ज़िंदगी ने तो रुला दिया होता!

इश्क के चाँद को अपनी पनाह में रहने दो…
लबों को ना खोलो आँखों को कुछ कहने दो…

किसकी क्या मजाल थी जो कोई हम को खरीद सकता…
हम तो खुद ही बिक गए इस चाँद से खरीदार देखकर…

हर कोई तुमसा खास नहीं होता…
जो खास होता है वोह कभी पास नहीं होता…
यकीन ना आये तो चाँद को ही देखो…
जिसके दूर होते हुए भी दूरी का एहसास नहीं होता…

सितारे भी जाग रहे हो रात भी सोई ना हो…
ऐ चाँद मुझे वहाँ ले चल जहाँ उसके सिवा कोई ना हो…

उसने खिड़की से चाँद देखा था…
यारों मैंने खिड़की में चाँद देखा था…

गुनहगार तो आपकी नजरें हैं मोहतरमा वरना…
कहाँ ये चाँद से चेहरे नकाब मांगते हैं…

सितारे भी जाग रहे हो रात भी सोई ना हो…
ऐ चाँद मुझे वहाँ ले चल जहाँ उसके सिवा कोई ना हो…

तेरी आँखों में हमे जाने क्या नजर आया…
तेरी यादों का दिल पर सुरुर है छाया…
अब हमने चाँद को देखना छोड़ दिया और…
तेरी तस्वीर को हमने दिल में छुपा लिया…

ना छत पर है कभी आता
ना घर से कभी निकलता है
मेरा महबूब जैसे चांद सा
घटाओ में छिपता है..!

सुनो मेरी जान चांद
को जगह दिखानी होगी
बस तुम्हे माथे पर एक
दिन बिंदिया लगानी होगी..!

हवाएं रोयेंगी सर फोड लेंगी इन पहाड़ से/कभी जब बाद में में चांद की डोली रावन होगी 

चांद चेहरा, जुल्फ दरिया, बात खुशबू, दिल चमन/इक तुम्हें देकर खुदा ने दिया क्या-क्या मुझे 

ऐसी सुनसान धोफर में कहां/ चांद तारों की तरह चलते ख्वाब 

किसी दस्तक ने बहुत चुपके से सरगोशी की / चांद सेचांदनी नज़र में हुई जाती है 

कहीं चांद राहों में खो गया कहींचांदनी भी भटक गई / मैं चिराग वो भी बुझा हुआ मेरी रात कैसे चमक गई 

अपना चांद मैं धुंधता रहा हूं तेरेचांद सितारों में/ शायद सच्चा मोती भी हो शीशे में टुकड़े में 

जब भी देखो उस तारफ नजरें/ चांद भी है किसी का चेहरा क्या 

चांद के साथ कितने दर्द पुराने निकले ;; कितने गम वे जो तेरे गम के बहाने निकले 

चांद तारे सभी हम-सफर थे मगर/जिंदगी रात थी रात काली रही 

ये चांद तारों का आंचल उसी का हिसा है/कोई जो दसरा ओडे तो दशहरा ही लागे 

चांद इन बदलियों से निकलेगा/कोई आएगा दिल को आस रहे 

तुम छत पर नहीं आए मैं घर से नहीं निकला / ये चांद बहुत भटका सावन की घाटों मैं 

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