मौत शायरी | मौत पर शायरी | मौत शायरी | Maut ka kafan shayari | Maut shayari in hindi | Maut shayari 2 line
तुम समझते हो कि जीने की तलब है मुझको,
मैं तो इस आस में ज़िंदा हूँ कि मरना कब है।
तेरी ही जुस्तजू में जी लिया इक ज़िंदगी मैंने,
गले मुझको लगाकर खत्म साँसों का सफ़र कर दे।
खबर सुनकर मरने की वो बोले रक़ीबों से,
खुदा बख्शे बहुत-सी खूबियां थीं मरने वाले में।
मैं अब सुपुर्दे ख़ाक हूँ मुझको जलाना छोड़ दे,
कब्र पर मेरी तू उसके साथ आना छोड़ दे,
हो सके गर तू खुशी से अश्क पीना सीख ले,
या तू आँखों में अपनी काजल लगाना छोड़ दे।
ज़िन्दगी ज़ख्मो से भरी है
वक्त को मरहम बनाना सीख लो
हारना तो मौत के सामने है
फ़िलहाल ज़िन्दगी से जीना सीख लो
मौत को तो यूँ ही बदनाम करते हैं लोग,
तकलीफ तो साली ज़िन्दगी देती है!
मौत मांगते है तो ज़िन्दगी खफा हो जाती है
जहर लेते है तो वो भी दवा हो जाती है
तु बता ऐ ज़िन्दगी तेरा क्या करू
जिसको भी चाहा वो बेवफा हो जाती है
मिट्टी मेरी कब्र से उठा रहा है कोई,
मरने के बाद भी याद आ रहा है कोई,
ऐ खुदा कुछ पल की मोहलत और दे दे,
उदास मेरी कब्र से जा रहा है कोई।
आसमान के परे मुकाम मिल जाए,
खुदा को मेरा ये पैगाम मिल जाए,
थक गयी है धड़कनें अब तो चलते चलते,
ठहरे सांसे तो शायद आराम मिल जाए।
वादे भी उसने क्या खूब निभाए हैं,
ज़ख्म और दर्द तोहफे में भिजवाए हैं,
इस से बढ़कर वफ़ा कि मिसाल क्या होगी,
मौत से पहले कफ़न का सामान ले आये हैं।
एक दिन हम भी कफ़न ओढ़ जायेंगे,
सब रिश्ते इस जमीन के तोड़ जायेंगे,
जितना जी चाहे सता लो मुझको,
एक दिन रोता हुआ सबको छोड़ जायेंगे।
यूँ तो हादसों में गुजरी है हमारी ज़िन्दगी,
हादसा ये भी कम नहीं कि हमें मौत न मिली।
यूँ तो हादसों में गुजरी है हमारी ज़िन्दगी,
हादसा ये भी कम नहीं कि हमें मौत न मिली।
वादे तो हजारों किये थे उसने मुझसे,
काश एक वादा ही उसने निभाया होता,
मौत का किसको पता कि कब आएगी,
पर काश उसने ज़िन्दा जलाया न होता।
लम्बी उम्र की दुआ मेरे लिए न माँग,
ऐसा न हो कि तुम भी छोड़ दो और मौत भी न आये।
दौलतमंद इंसान भी एक कफ़न
में लिपटकर ही जाएगा
जितना भी कमा लो ज़िंदगी में
कुछ साथ ना जा पाएगा।।
जितना भी भाल लें ज़िंदगी में
कभी सुकून नहीं मिल पाता
अब तो बस दिल अर्थी पर
कफ़न के नीचे हैं
सोना चाहता।।
हमें कफ़न में लिपटा देख तुम आंसू ना बहाना
जैसे धोखा देकर मुस्कुराए थे, वैसे ही मुस्कुराना।।
बस एक आखरी बार तुझे देखने की चाहत है
फिर हमने इस दुनियां से दूर चले जाना है
इसलिए आते हुए ध्यान से एक कफ़न लेते आना।।
कोन कहता है कफन सफेद होता हैं
जनाब अगर हमसफर पसंद ना हो तो
लाल जोड़े में भी जनाजे देखें जाते हैं।।
मुझे सिर्फ़ इतना बता दो…
इंतज़ार करूँ या ख़ुद को मिटा दूँ ऐ सनम?
तुम पर भी यकीन है और मौत पर भी ऐतबार है,
देखें पहले कौन मिलता है, हमें दोनों का इंतजार है।
सुहाना मौसम और हवा में नमी होगी,
आंसुओं की बहती नदी न थमी होगी,
मिलना तो हम तब भी चाहेंगे आपसे,
जब आपके पास वक़्त और
हमारे पास साँसों की होगी।
दो अश्क मेरी याद में बहा जाते तो क्या जाता,
चंद कलियाँ लाश पे बिछा जाते तो क्या जाता,
आये हो मेरी मय्यत पर सनम नकाब ओढ़कर.
अगर ये चाँद का टुकड़ा दिखा जाते तो क्या जाता।
मोहब्बत मुझे थी बस तुम्हीं से सनम,
यादों में तुम्हारी यह दिल तड़पता रहा,
मौत भी मेरी चाहत को रोक न सकी,
कब्र में भी यह दिल धड़कता रहा।
मेरी मौत के सबब आप बने,
इस दिल के रब आप बने,
पहले मिसाल थे वफ़ा की,
जाने यूँ बेवफ़ा कब आप बने।
मौत मिलती है न ज़िंदगी मिलती है,
ज़िंदगी की राहों में बेबसी मिलती है,
रुला देते हैं क्यों मेरे अपने,
जब भी मुझे कोई ख़ुशी मिलती है।
खुश हैं वो हमें याद ना करके,
हँस रहे हैं वो हमसे बात ना करके,
ये हँसी उनके चेहरे से कभी ना जाये,
खुदा करे वो हमारी मौत पर भी मुस्कुराएं।
तूफ़ान है जिंदगी तो साहिल है तेरी दोस्ती,
सफ़र है मेरी जिंदगी मंजिल है तेरी दोस्ती,
मौत के बाद मिल जायेगी मुझे जन्नत,
जिंदगी भर रहे अगर कायम तेरी दोस्ती।
जब तेरी नजरों से दूर हो जायेंगे हम,
दूर फिजाओं में कहीं खो जायेंगे हम,
मेरी यादों से लिपट कर रोने आओगे तुम,
जब जमीन को ओढ़ कर सो जायेंगे हम।
गम ए हयात का झगड़ा मिटा रहा है कोई,
चले आओ इस दुनिया से जा रहा है कोई,
अज़ल से कह दो रुक जाए दो घड़ी,
सुना है आने का वादा निभा रहा है कोई,
वोह इस नाज़ से बैठे हैं लास के पास,
जैसे रूठे हुए को मना रहा है कोई,
पलट कर न आ जायें फिर साँसे,
हसीन हाथो से मय्यत सजा रहा है कोई।
मौत एक सच्चाई है उसमे कोई ऐब नहीं
क्या लेके जाओगे यारों कफ़न में कोई जेब नही
आज जिस्म में जान है तो देखते भी नहीं लोग
जब रुह निकल जायेगी तो कफ़न हटा हटा कर देखेंगे
मेरे दिल के कफ़न में लिपटी तेरी यादें है
ये आख़िरत की निशानी है इसकी कब्र यही है
मेरे दिल के कफ़न में लिपटी तेरी यादें है
ये आख़िरत की निशानी है इसकी कब्र यही है
कफ़न में दफन हैं… लेकिन फिर भी
कुछ तुच्छ ख्वाहिशें दम भर रही हैं
जब इंसान की मौत आती हैं तब उसके ना चाहने वालो की तदाद भी उसके उप्पर खफन उड़ाने आती है।
दिल अक्सर मुझे कहता है की सोजा किसी कब्रिस्तान में कफ़न ओढ़कर, में उसे बस यही कहता हूँ की जिन्दा लाश को जरुरत नहीं होती किसी कफ़न को ओढ़कर सोने की।
कफ़न बांध कर रोज चलता हूँ मैं अपनी मौत को ढूंढने, पर जिंदगी हर रोज कहती हैं की अभी तो तुझे और तड़पना हैं इस जालिम दुनिया के आगे।
.